hadi rani story in hindi | हाड़ी रानी की कहानी क्या है?

hadi rani story in hindi. हादी रानी की कहानी एक राजपूत वीरांगना की कहानी है, जिसने अपने पति की वीरता और देशभक्ति को बढ़ावा देने के लिए अपना सिर काटकर दे दिया।

हादी रानी की कहानी क्या है?

हाड़ी रानी की कहानी राजस्थान के इतिहास में एक गौरवपूर्ण अध्याय है। वह एक ऐसी वीरांगना थीं, जिन्होंने अपने देश और धर्म के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। उनका जन्म हाड़ा राजपूत परिवार में हुआ था और उनका विवाह सलूंबर के सरदार रतन सिंह चूड़ावत से हुआ था। शादी के कुछ ही दिन बाद उनके पति को एक युद्ध में जाना पड़ा। हाड़ी रानी अपने नए नवेले पति को जाने नहीं देना चाहती थीं, लेकिन राजपूती होने के नाते वह अपने धर्म से पीछे भी नहीं हट सकती थीं। वह जाने के लिए राजी हुए और रानी से एक निशानी मांग ली।

हाड़ी रानी ने सोने का एक कंगन रतन सिंह को दिया और कहा, “यह कंगन जब तक तुम्हारे हाथ में रहेगा, तब तक तुम युद्ध में नहीं मारे जाओगे। लेकिन अगर यह कंगन टूट गया, तो समझ लेना कि मैं नहीं रही।”

रतन सिंह युद्ध में गए और हाड़ी रानी घर पर उनका इंतजार करने लगीं। कुछ दिनों बाद उन्हें पता चला कि उनके पति युद्ध में मारे गए हैं। इस खबर को सुनकर हाड़ी रानी बहुत दुखी हुईं, लेकिन उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं खोई। उन्होंने अपने पति की मृत्यु का बदला लेने की ठानी।

हाड़ी रानी ने एक सेना इकट्ठी की और मुगलों से युद्ध करने लगीं। वह एक कुशल योद्धा थीं और उन्होंने मुगलों को कई बार हराया। लेकिन एक दिन मुगलों ने हाड़ी रानी को घेर लिया और उनसे कहा, “इस्लाम धर्म स्वीकार करो या मृत्यु को तैयार हो जाओ।”

हाड़ी रानी ने कहा, “मैं अपने धर्म के लिए मरना पसंद करूंगी, लेकिन इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं करूंगी।”

मुगलों ने हाड़ी रानी को मार डाला, लेकिन उनकी वीरता की कहानी आज भी राजस्थान में गाई जाती है। हाड़ी रानी को राजस्थान की एक महान वीरांगना के रूप में याद किया जाता है।

Additional details:

  • हाड़ी रानी ने अपने पति की मृत्यु के बाद भी उनकी सेना का नेतृत्व किया और मुगलों से युद्ध करती रही।
  • हाड़ी रानी एक कुशल रणनीतिकार थीं और उन्होंने मुगलों को कई बार पराजित किया।
  • हाड़ी रानी को उनकी वीरता के लिए मुगलों ने भी सम्मान दिया।
  • हाड़ी रानी की वीरता ने मेवाड़ के लोगों को प्रेरित किया और उन्होंने मुगलों के खिलाफ लड़ाई जारी रखी।
  • हाड़ी रानी की मृत्यु के बाद राणा प्रताप ने उनके सम्मान में एक स्मारक बनवाया।

हाड़ी रानी का असली नाम क्या था?

हाड़ी रानी का असली नाम सलेह कंवर था। वह बूंदी के शासक भाव सिंह हाड़ा की पुत्री थीं। उनका विवाह सलूंबर के जागीरदार और मेवाड़ राज के सेनापति रावत रतनसिंह चूंडावत से हुआ था।

हाड़ी रानी को उनके बलिदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने पति को रणक्षेत्र में जाने के लिए प्रेरित करने के लिए अपना सिर काटकर दिया था। उनकी यह कहानी भारत में एक प्रसिद्ध लोककथा है।

हाड़ी रानी के नाम के बारे में कुछ अन्य मत भी हैं। कुछ लोगों का मानना ​​है कि उनका नाम सोहेल कंवर था, जबकि अन्य का मानना ​​है कि उनका नाम सलीम कंवर था। हालांकि, सलेह कंवर नाम सबसे आम और स्वीकृत मत है।

किस हिंदू रानी ने अपना सिर काटा?

16वीं शताब्दी में, राजस्थान की एक हिंदू रानी, हाड़ी रानी ने अपना सिर काट दिया। वह बूंदी के हाड़ा राजा की बेटी थीं और सलूंबर के राव रतन सिंह की पत्नी थीं। 1585 में, औरंगजेब ने मेवाड़ पर आक्रमण किया। राव रतन सिंह को युद्ध के लिए बुलाया गया, लेकिन उनकी शादी के कुछ ही दिनों बाद। हाड़ी रानी ने अपने पति को युद्ध के मैदान में जाने से पहले अपना सिर काटकर भिजवाया ताकि वह अपने कर्तव्य को याद रखें और युद्ध में जीत हासिल करें।

हाड़ी रानी का जन्म कब हुआ

हाड़ी रानी का जन्म 1635 ईस्वी में बूंदी के हाड़ा शासक भाव सिंह हाड़ा के पुत्र संग्राम सिंह हाड़ी की पुत्री के रूप में हुआ था। उनका नाम सलेह कंवर था। उनका विवाह सलूंबर (उदयपुर) के जागीरदार और मेवाड़ राज के सेनापति रावत रतनसिंह चूंडावत के साथ हुआ था।

Conclusion:

हाड़ी रानी की कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें अपने देश और धर्म के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। हमें अपनी हिम्मत कभी नहीं खोना चाहिए और हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। हाड़ी रानी एक आदर्श हैं और उनकी वीरता की कहानी हमेशा हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगी।

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2 Comments

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